Mysore sandal soap Controvery: नहाने का साबुन बनाने वाली कंपनी ने एक्ट्रेस तमन्ना भाटिया को अपने विज्ञापन के लिए ब्रांड एंबेसडर बनाया तो विवाद शुरू हो गया. कंपनी ने एक्ट्रेस के हाथ 6.20 करोड़ रुपए की डील की, लेकिन इस डील को दो दिन भी नहीं बीते कि विवाद बढ़ गया.
What is Mysore Sandal Soap Controversy: नहाने का साबुन बनाने वाली कंपनी ने एक्ट्रेस तमन्ना भाटिया को अपने विज्ञापन के लिए ब्रांड एंबेसडर बनाया तो विवाद शुरू हो गया. कंपनी ने एक्ट्रेस के हाथ 6.20 करोड़ रुपए की डील की, लेकिन इस डील को दो दिन भी नहीं बीते कि विवाद बढ़ गया. कर्नाटक सरकार ने तमन्ना भाटिया को मैसूर सैंडल सोप ब्रांड एंबेसडर बनाया है, लेकिन इस फैसले पर सवाल उठाए जा रहे हैं. लोग सवाल पूछ रहे हैं कि ब्रांड एंबेसडर के लिए किसी कन्नड़ एक्टर या एक्ट्रेस को क्यों नहीं लिया गया? सवाल इसलिए क्योंकि मामला देश के पहले स्वदेशी साबुन से जुड़ा है. आज कहानी उसी मैसूर सैंडल शॉप की.
राजघराने से है साबुन का रिश्ता
मैसूर सैंडल शोप भारत का पहला स्वदेशी शोप है, जिसकी शुरुआत आज से करीब 172 साल पहले हुई थी. आपको भी गोल आकार से इस साबुन के विज्ञापन याद होंगे. मोतियों के बीच सजा साबुन देखने में ही रॉयल लुक देता है. हो भी क्यों न क्योंकि इसका रिश्ता भी राज परिवार से जुड़ा है. मैसूर सैंडल शोप की शुरुआत मैसूर के राजा कृष्ण राजा वाडियार चतुर्थ ने 1900 के दशक में किया था. मैसूर सैंडल सोप (Maysoor Sandal soap) जिसने गुलामी भी देखी और आजाद भारत को भी देखा.
नाम की तरह दाम भी
दरअसल मैसूर रियासत की चंदन की लकड़ियों की विदेशों में खूब डिमांड थी. मैसूर में वोडियार साम्राज्य था. प्रथम विश्व के शुरू होने के बाद चंदन की लकड़ियों का निर्यात बंद हो गया. निर्यात बंद होने से चंदन की लकड़ी का ढेर लगने लगा, जिसके सामाधान के लिए राजा वोडियार चतुर्थ ने अपने दीवान मोक्षगुंडम विश्वेश्वैरया को हल खोजने को कहा.
पहले राजा के लिए बनी थी साबुन
विश्वेश्वैरया, वहीं हैं, जिन्हें आप विख्यात इंजीनियर, प्रशासक और स्टेट्समैन के तौर पर जानते हैं. उन्होंने चंदन की लकड़ियों से तेल तैयार किया. फ्रांस और लंदन के साबुन बनाने की तकनीक सीखी और राजमहल में ही चंदन के तेल से साबुन बना दिया. साबुन बनाने की तकनीक सीखने के लिए उन्होंने इंडस्ट्रियल केमिस्ट एसजी शास्त्री की मदद में साल 1918 में उन्होंने चंदन के तेल से देश का पहला देसी साबुन तैयार किया. पहला साबुन महाराज के लिए तैयार किया. राजा साहब को काम पसंद आया तो उन्होंने इसे बाजार में लाने का आदेश दे दिया.
सरकार को सौंप दी साबुन की जिम्मेदारी
साबुन बन चुका था, लेकिन लोगों तक जानकारी कैसे पहुंचे, इसके लिए विज्ञापन पर विचार किया जाने लगा.इससे पहले राजा ने साल 1982 में सरकार को इस साबुन की जिम्मेदारी सौंप की. कर्नाटका सोप्स एंड डिटर्जेंट लिमिटेड (KSDL) के हाथों में मैसूर सैंडल सोप की जिम्मेदारी आ गई. इस साबुन का मैन्युफैक्चरिंग, मार्केटिंग, सेल्स सब सरकार देखती है.
साबुन के विज्ञापन में माचिस और ऊंट तक का इस्तेमाल
लोगों तक भारत के पहले स्वदेशी और सैंडल सोप की जानकारी पहुंच सके, इसलिए विज्ञापन से उसकी लोकप्रियता बढ़ाई गई. ट्राम टिकट से लेकर माचिस की डिब्बियों पर मैसूर सैंडल शोप के विज्ञापन डाले गए. कराची में साबुन के प्रचार के लिए ऊंटों का जुलूस निकाला गया. विज्ञापन काम कर गया और लोग इसे खरीदने लगे, हालांकि कीमत आम साबुन के मुकाबले थोड़ी ज्यादा थी.
धोनी भी बने ब्रांड एंबेसडर
साल 2006 में कंपनी ने टीम इंडिया के पूर्व कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी को अपना पहला ब्रांड एंबेसडर भी बनाया. हालांकि दाम की वजह से कंपनी को विदेशी सोप कंपनियों से काफी चुनौतियां मिलती रही है. अब तमन्ना भाटिया को ब्रांड एंबेसडर बनाने पर विवाद हो रहा है.
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