Holi में पूजा के दौरान जातक को पूजा करते वक्त पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठने की सलाह दी जाती है.
नई दिल्ली: होली आने में भले अभी एक सप्ताह का समय हो लेकिन लोग अभी से ही इसकी तैयारी में जुट गए हैं. इस पर्व की खासीयत रंगों के साथ-साथ होलिका दहन भी है. आज हम आपको होलिका दहन और इस दौरान की जाने वाली पूजा की विधि के बारे में आपको बताने जा रहे हैं. मान्यताओं के अनुसार होलिका में आग लगाने से पूर्व होलिका की विधिवत पूजन करने की परंपरा है. इसके लिए बाकायदा एक पुरोहित मंत्रोच्चार कर इस विधि को संपन्न करवाते हैं.
मान्यताओं के अनुसार, जातक को पूजा करते वक्त पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठने की सलाह दी जाती है. होलिका पूजन करने के लिए गोबर से बनी होलिका और प्रहलाद की प्रतीकात्मक प्रतिमाएं, माला, रोली, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, पांच या सात प्रकार के अनाज, नई गेहूं और अन्य फसलों की बालियां और साथ में एक लोटा जल रखना अनिवार्य माना जाता है. इसके साथ ही बड़ी-फूलौरी, मीठे पकवान, मिठाईयां, फल आदि भी पूजा के दौरान चढ़ाए जाते हैं.
इन विधि को करने के बाद होलिका के चारों ओर सात परिक्रमा करते हुए इसे लपेटी जाती है. इसके बाद अग्नि प्रज्वलित करते समय हम जल से अर्घ्य देते हैं. गौरतलब है कि सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका में अग्नि प्रज्जवलित कर दी जाती है, इसके बाद डंडे को बाहर निकाल लिया जाता है. होलिका दहन के समय मौजूद सभी पुरूषों को रोली का तिलक लगाया जाता है.
Source : https://khabar.ndtv.com/news/faith/holi-holikadehn-1815197