डिजिटल पेमेंट्स और ट्रांजैक्शंस पर लगते हैं इतने टैक्स और चार्जेस

कैश में लेन-देन की हमारी आदत को बड़ा झटका नोटंबदी के बाद लगा जब हमें डिजिटल पेमेंट्स के लिए मजबूर होना पड़ा। ऑनलाइन पेमेंट्स से लेकर मोबाइल वॉलिट और ऑनलाइन ट्रांसफर तो हमने शुरू कर दिया लेकिन क्या हमें पता है कि हमें इसके लिए कितना टैक्स या चार्ज चुकाना पड़ता है।

नैशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (NEFT)
इसके जरिए वन-टु-वन फंड्स ट्रांसफर किए जाते हैं। इंटरनेट बैंकिंग या बैंक ब्रांच में जाकर इस सुविधा का इस्तेमाल किया जाता है। इसके जरिए कितना भी पैसा ट्रांसफर किया जा सकता है। लेकिन इसका चार्ज आपको देना पड़ता है। इन ट्रांजैक्शंस पर जीएसटी लगता है और यह सुविधा 24 घंटे उपलब्ध नहीं होती है।

एसबीआई के एनईएफटी चार्जेस

रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS)
ज्यादा अमाउंट को खाते में ट्रांसफर करने के लिए इस सुविधा का प्रयोग किया जाता है। इसके जरिए न्यूनतम 2 लाख रुपये ट्रांसफर करने होते हैं।

एसबीआई के RTGS चार्जेस

इमीडियेट पेमेंट सर्विस (IMPS)
यह सर्विस का लाभ आप 24 घंटे में कभी भी उठा सकते हैं। हालांकि इसके जरिए अधिकतम 2 लाख रुपये ही ट्रांसफर किए जा सकते हैं।

एसबीआई के IMPS चार्जेस

मोबाइल वॉलिट्स
नोटंबदी के बाद मोबाइल वॉलिट्स के उपयोग में बड़ी तेजी आई थी। मोबाइल ऐप के जरिए आप पेमेंट करते हैं और सेम वॉलिट में पैसा ट्रांसफर भी कर सकते हैं। यह तो साफ है कि पेमेंट करने या अकाउंट में पैसा ऐड करने का कोई चार्ज नहीं लगता है, लेकिन मोबाइल वॉलिट से बैंक अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करने पर चार्ज वसूला जाता है। पेटीएम 3 प्रतिशत चार्ज मोबाइल वॉलिट से बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर करने का लेता है और मोबिक्विक 4 प्रतिशत।

पेमेंट्स बैंक
आरबीआई की गाइडलाइंस को देखते हुए पेमेंट्स बैंक सीमित सुविधाएं कस्टमर्स को देते हैं। एयरटेल पेमेंट्स बैंक और पेटीएम पेमेंट बैंक इसके उदाहरण हैं। मोबाइल वॉलिट्स से इतर ये जमा राशि पर इंट्रेस्ट भी देते हैं और यह 1 लाख रुपये तक डिपॉजिट ही ले सकते हैं। एयरटेल पेमेंट्स बैंक एक साल में 7.25 प्रतिशत ब्याज देता है और पेटीएम 4 प्रतिशत। इनकी सर्विसेज भी फ्री नहीं हैं। एयरटेल कैश निकालने पर 0.65 प्रतिशत चार्ज वसूलता है।

क्रेडिट और डेबिट कार्ड
डिजिटल पेमेंट के लिए सबसे ज्यादा कार्ड्स का इस्तेमाल किया जाता है। डेबिट कार्ड पर मूलत: दो तरह के चार्ज होते हैं, एक वार्षिक रकम जो बैंक कस्टमर से वसूलता है। दूसरा कन्वीनियेंस फी जो कार्ड स्वाइप करते वक्त मर्चेंट आउटलेट्स लेते हैं। ट्रांजैक्शंस कितने किए जाते हैं उसकी सीमा है और उससे ज्यादा ट्रांजैक्शंस पर बैंक चार्ज वसूलते हैं। मेट्रो शहर में महीने में 8 ट्रांजैक्शंस (5 बैंक के एटीएम में और 3 दूसरे एटीएम से) ही फ्री हैं। इस सीमा के बाद बैंक हर ट्रांजैक्शन पर 20 रुपये चार्ज लेते हैं।

क्रेडिट कार्ड पर डेबिट कार्ड से ज्यादा चार्ज वसूले जाते हैं। अगर आप क्रेडिट कार्ड सही से इस्तेमाल नहीं करते हैं तो आप कर्ज में फंसे ही रह जाते हैं। क्रेडिट कार्ड्स पर वार्षिक फीस, रिन्यूअल फीस और कन्वीनियेंस फीस लगती है। इसके अलावा अगर आप तय डेट तक पेमेंट नहीं कर पाते हैं तो आप हर ब्याज लगाया जाता है।

Source : https://navbharattimes.indiatimes.com/business/business-news/the-real-cost-of-digital-transactions-and-payments/articleshow/61546862.cms

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